शिक्षा की सुध

इस शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके घोषणा की कि प्रधानमंत्री स्कूल्स फार राइजिंग इंडिया यानी पीएम - श्री योजना के तहत देश के साढ़े चौदह हजार स्कूलों को विकसित और उन्नत किया जाएगा. स्कूलों की बहरहाल स्थिति आपसे छिपी नहीं है. न पीने के पानी है, न बैठने के लिए उचित कोई व्यवस्था नहीं है. विडम्बना है कि कई बार स्थिति सुधारने की बात तो की जाती है, लेकिन सुधारी नहीं जाती. कई स्कूलों में तो शौचालय की भी कोई सुविधा नहीं है.. बजट में शिक्षा पर खर्च हकीकत से भी कम है. जिस कारण जिसकी आर्थिक स्थिति थोड़ी भी ठीक है, वह निजी स्कूलों की तरफ भाग रहा है, तथा निजी स्कूलों की संख्या तदोपरांत लगातार बढते हुए नजर आ रही हैं. 
 केंद्रीय सरकार को इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं माने जा सकते हैं.क्योंकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर  काम करती . 
  यह कोई नई बात नहीं है, प्रत्येक वर्ष 5 सिंतबर को प्रधानमंत्री द्वारा कोई नये उम्मीद या आशाएं नहीं लाये जाये.  अब तो शिक्षा भी चुनावी राजनीति का एक महज हिस्सा सा बन कर रह गया है

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